जीवन में कुछ ऐसी चीजें ऐसे वांछनीय होती हैं जैसे की रात की एक अच्छी नींद। तथापि, अनेक वयोवृद्ध व्यक्तियों के लिए रात्रि का समय उनके लिए दिन का सबसे खराब समय होता है। जैसे जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है उसी के अनुसार नींद की परिपाटी में भी परिवर्तन होता है। नींद की अवधि कम हो जाती है तथा नींद की गुणवत्ता भी हल्की हो जाती है। इसके साथ साथ मानसिक तथा शारीरिक रुग्णता के कारण भी नींद में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
नींद के सामान्य चक्र में दो परिपाटियां होती हैं : स्वप्निल नींद तथा शांत नींद। हर व्यक्ति हर रात इन दो परिपाटियों के लगभग चार से पांच चक्रों में से गुजरता है। वयोवृद्ध व्यक्तियों के लिए, नींद के सर्वाधिक गहरे चरण में बिताया जाने वाला समय कम हो जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि वयोवृद्ध व्यक्तियों को कम नींद लेने वाला कहा जाता है।
हालांकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए कितनी नींद अपेक्षित है, इसमें अत्यधिक भिन्नता होती है, औसतन हर रात सात से आठ घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। तथापि, उम्र के बढ़ने के साथ साथ, सामान्य रुप से प्राप्त की जा सकने वाली नींद की मात्रा में कमी आती है।
किसी भी चरण में अनिद्रा नींद संबंधी एक सामान्य शिकायत होती है। अनिद्रा में सोने के लिए लम्बा समय लेना (30 से 45 मिनट से अधिक) अथवा रात में अनेक बार जागना तथा फिर से नींद न कर पाने में असमर्थ रहना शामिल है। बहुत अधिक अपवादों को छोड़कर, अनिद्रा नींद समस्या का लक्षण होता है न कि स्वयं एक समस्या।
जीवन की गुणवत्ता में रात को एक बेहतर नींद प्राप्त करने से बहुत अधिक अंतर पड़ सकता है। इस संबंध निम्नलिखित कुछ सुझाव हैं :