औषधियां तथा दवाएं जीवन का हिस्सा हैं। युवावस्था में आपको इनकी कम आवश्यकता होती है। तथापि, उम्र के बढ़ने के साथ दवाओं की आवश्यकता, अक्सर एक से अधिक दवा, बढ़ जाती है। ऐसे अनेक कारण हैं जिनके कारण लोगों को अपनी पिछली आयु में दवाओं के संबंध में अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। संभवत दवाओं की खुराक हमारे लिए छोटी हो सकती है क्योंकि हमारा यकृत तथा गुर्दे दवाओँ को हटाने के संबंध में कम कार्यकुशल हो जाते हैं, इसलिए वह हमारे शरीर में अधिक समय तक सक्रिय रहती हैं।
यह सामान्य प्रवृति है तथा आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि बताई गई खुराक की मात्रा से अधिक मात्रा में आप दवा का सेवन न करें। इस अध्याय में दवाओं के प्रबन्धन के संबंध में कुछ दिशानिर्देश उपलब्ध कराए गए हैं।
दवा का नाम
अधिकांश दवाओं के दो नाम होते हैं। ब्रैंड नाम अथवा व्यापारिक नाम जो कि दवा के विनिर्माता द्वारा दवा के लिए रखा जाता है जबकि अनुमोदित नाम अथवा औषधशास्त्रीय या जातिगत नाम इसमे शामिल तत्वों के लिए दिया जाता है। इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आप दवा के किस खास ब्रैंड का प्रयोग करते हैं, तथापि, ब्रैंड को अपरिवर्तित रखना बेहतर होता है। जब भी आप नई दवा खरीदते हैं, हमेशा इसके अनुमोदित नाम की जांच करें ताकि आप उन तत्वों से बच सकें जो कि आप पहले से ही ले रहे हों। बिना डाक्टर के नुस्खे की लिखी दवाओँ (ओवर दी कांउटर दवाएं या ओ टी सी) को खरीदते समय यह सलाह दी जाती है कि क्या यह आपके लिए नुस्खें में लिखी गई दवा से मेल करती है।
दुष्प्रभावों को कम करना
ऐसी कोई दवा नहीं है जिसके दुष्प्रभाव न होते हो, जबकि उनका होना आवश्यक नहीं होता है। कुछ सावधानियां बरत कर औषधि के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
सुरक्षित संग्रह
अपनी दवाओं को किसी ओर की दवाओं के साथ न रखें। यदि बच्चे नियमित रुप से घर में नहीं रहते हैं तो हमेशा दवाओं को उनकी पहुंच से दूर रखें। दवाओं को लम्बे समय तक उपयोग योग्य रखने के लिए उनको ठण्डे तथा शुष्क स्थान पर रखा जाना चाहिए।
उपयोगिता अवधि से पूर्व उपयोग
भोजन के अनुरुप, सभी दवाओं की एक निर्धारित उपयोगिता अवधि होती है। इसलिए थोड़ी मात्रा में लेना बेहतर होता है तथा यह सुनिश्चित करें दवाओं को उनकी उपयोगिता अवधि की समाप्ति (एक्सपायरी डेट) के बाद उपयोग में न लाया जाए। क्रीम तथा मरहम आदि पर आमतौर तारीख ट्यूब के नीचे लिखी रहती है। यदि आपको दवा के कन्टेनर पर तारीख नहीं दिखाई देती है तो नियमत एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए उन गोलियों अथवा कैप्सूल को न रखें। लिक्विड्स को केवल छह महीने के लिए रखा जाना चाहिए।
उपयोगिता अवधि समाप्त हो चुकी दवाओं को जब उनकी आवश्यकता न हो, नष्ट (फेंक कर) आप उनके उपयोग से बच सकते हैं। उनको किसी दिन आवश्यक पड़ जाने की स्थिति के लिए अपने पास न रखें।
दवाओं को याद रखना
दवा लेने को याद रखना एक कठिन कार्य होता है। अपनी दवा लेने का समय इस प्रकार से निर्धारित करें जो कि आपके लिए सबसे अनुकूल हो। भोजन का समय दवा लेने का बेहतर समय होता है क्योंकि आपके पास दवा लेने के लिए पानी आदि रखा होता है। यदि लेबल पर लिखे निर्देशों के अनुसार दवा खाली पेट लेनी है, तो आप दवा को खाना खाने से कम से कम एक घंटा पहले लेने का प्रयास करें। यह मुख्यत एन्टीबायटिक्स पर लागू होता है।
ड्राप्स, क्रीम तथा इन्हेलर्स
जिस प्रकार से गोलियों तथा कैप्स्यूल के साथ सावधानी बरती जाती है उसी प्रकार से आंख, कान तथा नाक के लिए ड्राप्स के साथ भी सावधानी बरती जानी चाहिए क्योंकि इनके दुष्प्रभाव पैदा हो सकते हैं। किसी अन्य से साथ अपने ड्राप्स को कभी भी साझा न करें। आंख के किसी ड्राप के कन्टेनर को एक बार खोल लिए जाने के बाद, इसे एक महीने के भीतर प्रयोग में लाया जाना चाहिए। आंखों में ड्राप्स डालते समय वास्तव में आंखों को न छुने का प्रयास करें। क्रीम तथा मरहम आदि भी दवाएं होती हैं तथा उनकी सम्भलाई ठीक से करनी चाहिए। किसी भी क्रीम अथवा मरहम आदि के प्रयोग से पहले और बाद में हाथ अवश्य धोएं।
सांस लेने में सहायता करने के लिए दवा को झाग के रुप में फेफड़ों तक पहुंचाने के लिए इन्हेलर्स दवा की नई डिलीवरी प्रणाली है। लेकिन, सही समय पर सांस लेना तथा पफर को दबाने के बीच में समन्वय कायम करना अक्सर आसान कार्य नहीं होता है। अनेक व्यक्ति कभी भी दवा की सही खुराक नहीं ले पाते हैं। वैकल्पिक रुप से, आप इन्हेलर के साथ स्पेसर का प्रयोग कर सकते हैं जिसे चलाना आसान होता है। यदि आपको अपने इन्हेलर के साथ समस्या होती है तो आप अपने डाक्टर से इसे सही तरीके से प्रयोग करना सीख सकते हैं।
पुनरावृत नुस्खे
यदि आप नियमित रुप से दवा ले रहे हैं, तो आप डाक्टर से मिले बिना ही अपने नुस्खे की पुनरावृति कर सकते हैं। लेकिन, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होता है कि आप अपने डाक्टर से नियमित अंतराल पर मिलते रहें।संभव है आपको किसी दवा की आवश्यकता अब न हो अथवा उसकी खुराक में कुछ परिवर्तन करना अपेक्षित हो। दुष्प्रभावों के जोखिम को कम करने के लिए नियमित जांच आवश्यक है तथा ऐसा करना इस बात को सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है कि आप अनावश्यक रुप से दवा न ले रहे हों। यदि आपको लगता है कि आपको दुष्प्रभाव हुए हैं तो इसकी जानकारी डाक्टर को देना आवश्यक है चाहे दुष्प्रभाव कितने ही कम या हल्के क्यों न हों। डाक्टर को ऐसी बातों को बताने में भूल करना आम बात होती है, इसलिए डाक्टर के पास सलाह मश्विरा करने के लिए जाने से पूर्व उन प्रश्नों को आप लिख लें ताकि आप उन्हे सरलता से याद रख सकें।