ह्दय एक पम्प होता है जो निरन्तर शरीर के सभी अंगों में रक्त की आपूर्ति करता रहता है। यह पम्प स्वयं भी ऐसी कोशिकाओं से बना होता है जिन्हे उचित कार्यनिष्पादन के लिए निरन्तर रक्त की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। ह्दय में रक्त के प्रभावी संचरण के अभाव से होने वाले ह्दय रोग को ह्दय में बाधित रक्त आपूर्ति रोग (आई एच डी) रोग कहा जाता है। आई एच डी बहुत ही सामान्य रोग होता है तथा वृद्धावस्था के दौरान इससे मृत्यु भी हो जाती है।

आई एच डी के अनेक लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं : अप्रत्यक्ष रोग से अचानक मृत्यु। तथापि, सबसे बार बार दिखाई देने वाले लक्षणों में एन्जाइना (शारीरिक श्रम से सम्बद्ध छाती में दर्द) तथा गम्भीर मायोकार्डियल इन्फार्केशन (ह्दयघात)। ह्दयघात उन धमनियों में रक्त की आपूर्ति के अचानक रूकने से होता है जो ह्दय (कोरोनरी आर्टरीज) को रक्त की आपूर्ति करती हैं। परिणामस्वरुप ह्दय की कोशिकाओं नष्ट हो जाती हैं अथवा स्थाई रुप से निष्क्रिय हो जाती हैं। एन्जाइना ह्दयघात का हल्का तथा परिवर्तनीय स्वरुप होता है।

ह्दय में बाधित रक्त आपूर्ति रोग रक्त वाहिकाओं (अथेरोसेक्लेरोसिस) के संकुचन का परिणाम होता है, यह एक ऐसा रोग है जिसमें कॉलेस्ट्रोल (रक्त में वसा) दीवारों के भीतर जमा हो जाता है। अथेरोसेक्लेरोसिस की यह प्रक्रिया मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है तथा मस्तिष्काघात हो जाता है और विभिन्न अंगों की वाहिकाओं को प्रभावित करता है जिससे गैंगरीन हो जाता है।

आई एच डी के विकसित होने के पीछे अनेक जोखिम कारक होते हैं। इनमें असंशोधनीय कारक (जिन्हे परिवर्तित नहीं किया जा सकता) जैसे लिंग (पुरुष), आयु (बढ़ती आयु), जाति (काले,दक्षिण एशियाई) तथा परिवार का इतिहास तथा संशोधनीय कारक जैसे धूम्रपान, मोटापा, उच्च कॉलेस्ट्रोल स्तर तथा उच्च रक्त दाब आदि।

एन्जाइना

एन्जाइना एक ऐसा लक्षण है जो कि कुछ मिनट तक रहता है। आपको छाती में सिकुड़न अथवा भारीपन लगता है, सांस लेने में कठिनाई होती है, छाती में दबाव, सिकुड़न अथवा जलन महसूस होती है, पीड़ा जो कि बाजुओं तक फैल जाती है, नैक जॉ अथवा पीठ तथा कंधों,बाजुओं अथवा कलाईयों में सुन्नपन अथवा झनझनाहट आदि होना।

जब आप सीढ़िया चढ़ते हैं, भारी वजन उठाते हैं,गुस्सा करते हैं अथवा परेशान होते हैं, बहुत ही गर्म अथवा ठण्डे मौसम में काम करते हैं, सेक्स करते हैं, भावनात्मक दबाव में होते हैं, व्यायाम करते हैं अथवा इनमें से कोई जटिलताएं होती हैं। विशिष्टतया, जब आप इन गतिविधियों को बन्द कर देते हैं अथवा नाईट्रोग्लसरीन (सोर्बीट्रेट) की गोली अपनी जीभ के नीचे रख लेते हैं तो यह लक्षण दूर हो जाते हैं। एन्जाइना की जानकारी हमेशा नैदानिक रुप से की जाती है। तथापि, आपको पुष्टि करने के लिए निम्नलिखित परीक्षणों की आवश्यकता होती है:

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रक्त परीक्षण (कॉलेस्ट्रोल)
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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ई सी जी)
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एक्सरसाइज ई सी जी (ट्रेडमिल परीक्षण)
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परिवर्तनीय ह्दय में रक्त की बाधित आपूर्ति को दर्शाने के लिए स्ट्रैस थैलियम परीक्षण
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कार्डिएक कैथेटेराईजेशन जिससे पता चलता है कि धमनी कहां से अवरुध है।

संभव है कि आपका डाक्टर पीड़ा से बचने के लिए आपको नाईट्रोग्लसरीन की गोली दे जिसे आपको जीभ के नीचे रखना होता है। कुछ लोगों को नाइट्रोग्लसरीन की गोली लेने के बाद

सलाह लेते समय अपने डाक्टर से यह पूछना न भूलें कि एन्जाइना के समय क्या करना है तथा सही प्रकार से कैसे नाईट्रोग्लसरीन गोली का इस्तेमाल करना है। यदि आपको एन्जाइना होता है तो आपको अपनी जीवनशैली पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होती है तथा कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की जरुरत है। ह्दय में रक्त की बाधित आपूर्ति रोग से हारना नहीं चाहिए। बल्कि आप इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। यह आवश्यक है कि आप निम्नलिखित कदम उठाएं :

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धूम्रपान बन्द कर दें
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स्वास्थ्यपूर्ण आहार लें
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उच्च रक्त दाब तथा रक्त कॉलेस्ट्रोल स्तर को नियंत्रित करें।
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आराम करना सीखें और तनाव को नियंत्रित करें
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श्रमसाध्य गतिविधियों से बचें
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यदि आपके एन्जाइना में परिवर्तन होता है तो अपने डाक्टर को बुलाएं, उदाहरण के लिए आपको आराम के दौरान एन्जाइना होता है अथवा यह और अधिक बिगड़ता जाता है।

ह्दय घात

ह्दयघात के सबसे अधिक पुनरावृत लक्षण में छाती में दर्द होना शामिल है। आमतौर पर यह एन्जाइना के समान ही होता है लेकिन यह अधिक दर्दनाक अथवा गम्भीर होता है। कुछ लोगों को बिना एन्जाइना के ही ह्दयघात हो जाता है। उन्हे इस प्रकार का छाती का दर्द बहुत ही अधिक महसूस होता है तथा ऐसा उन्होने पहले अनुभव नहीं किया होता है। ह्दयाघात के अनेक असामान्य लक्षण होते हैं जिसमें मूर्छित होना तथा गम्भीर रुप से सांस की कमी (शार्टनेस) होती है। संभवत वृद्ध व्यक्तियों तथा मधुमेह रोगियों में छाती में दर्द नहीं हो। ह्दयाघात की जानकारी आमतौर पर ईसीजी से लग जाती है।

आज के समय में ह्दयाघात लाइलाज नहीं है। ऐसी औषधियों का विकास किया गया है जिनसे ह्दय की संकुचित रक्त वाहिकाओं को खोला जा सकता है। इसके साथ साथ, ह्दयाघात के तुरन्त बाद आपकी ह्दय वाहिकाओं को ठीक करने के लिए आप सुनिश्चित शल्य चिकित्सा तथा नॉन-सर्जिकल रुप से उपाचर करवा सकते हैं।

इस प्रकार यह एक अच्छा समाचार है कि दुख के दिन अब नहीं रहे तथा जल्द ही वह सब कुछ कर सकेगें जो आप पहले से करते आ रहे हैं!

अपनी जीवनशैली में स्वास्थ्य से परिपूर्ण परिवर्तन करने का समय है। यदि आप अपने ह्दय को स्वस्थ नहीं बनाए रखते तो ह्दय रोग और भी अधिक खराब हो सकता है।

ह्दयाघात के उपरांत अधिक चिंता करना कोई असामान्य बात नहीं है। पूरी तरह से ठीक होने तथा अपने संबंध में अच्छा महसूस करने में समय लगता है। अपने डाक्टर की कही गई बातों का पालन करना ठीक रहता है तथा अपने ह्दय को ठीक रखना सीखें। आप अभी तक सक्रियता से वर्षों जी सकते हैं।

अधिकांश रोगी यह कहते हैं कि उन्हे ह्दयघात के उपरांत ठीक नहीं लगता है। इस प्रकार की सोच सामान्य बात है तथा इनको सरलता से समझा जा सकता है।

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आपको मरने अथवा छाती में दर्द होने का डर हो सकता है, तथा यह डर की आप सेक्स नहीं कर पाएगें अथवा आप काम नहीं कर पाएगें।
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यह सोच कर कि “अब जीवन में क्या बचा है”, आप अवसादग्रस्त हो सकते हैं। आप पहले जैसे नहीं हो सकेगें तथा दूसरे यह सोचेगें की आप कमजोर हैं।
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आपको यह सोच कर भी गुस्सा आ सकता है कि ऐसा आपके साथ ही क्यों हुआ।
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न केवल आप बल्कि आपके आस पास के लोग भी यह महसूस करते हैं कि आपको ह्दयाघात हुआ है।

काम पर लौटना

अधिकांश लोग 1 से 3 महीनों के भीतर काम पर फिर से जाना शुरु कर देते हैं। आपका डाक्टर आपसे उन परीक्षणों को करवाने के लिए कह सकता है जिनसे यह पता चल सके कि आप अपना पहले वाला कार्य कर सकते हैं अथवा नहीं। कुछ लोग ह्दय को कम प्रभावित करने वाले कार्य चुन लेते हैं।