किसी नजदीकी अथवा प्यारे व्यक्ति की मौत एक ऐसा अनुभव है जिसका हमें अपने में जीवन में कभी न कभी, विशेष रुप से जब हम वयोवृद्ध होने लगते हैं, तो सामना करना पड़ता ही है।
ऐसा संभव है कि आप पहले से ही अपने अभिभावकों, भाई अथवा बहन, पति अथवा पत्नी,एक अच्छे मित्र अथवा यहां कि बच्चे अथवा पोते-पोती में से किसी की मृत्यु का दुख झेल चुके हों। किसी ऐसे व्यक्ति जिसके साथ आपने अपने जीवन को बिताया हो, की मृत्यु से गम्भीर तनाव उत्पन्न होता है। वृद्धावस्था में, इसके मायने उस स्नेहपूर्ण संबंध का अंत होता है जो अनेक वर्षों तक बना रहा था।
आपके जीवन की संभवत अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं : सचलता का अभाव, अकेले रहने की समस्या, अशक्तता अथवा रुग्णता, आपका अपने बच्चों से दूर रहना, अथवा इस बात की संभावना भी सकती है कि आपके परिवार में कोई भी सदस्य न रहा हो।
शोक एक बहुत ही व्यक्तिगत तथा दुख से युक्त स्थिति होती है। किसी को खो देने से उत्पन्न पीड़ा को मापने का कोई मानक आधार नहीं है तथा हमारे में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपनी ही तरह से शोक का सामना किया जाता है। फिर भी, शोक मनाने की एक मान्यताप्राप्त परिपाटी है तथा इस अध्याय में आपको शोक या दुख के सामान्य चरणों के बारे में बताया गया है ताकि यह दर्शाया जा सके कि दुख निवारण कैसे होता है
किसी अज्ञात घटना के घटित होने से संबंधित भय हमारे लिए सबसे अधिक भयानक होता है, लेकिन यदि आप जानते हैं कि शोक से उपर उठना है, और लोग किस प्रकार के दौर से गुजरते हैं, यदि इसकी आपको जानकारी है तो संभवत इससे आपको किसी नजदीकी संबंधी की मृत्यु का सामना करने के लिए आपको अधिक तैयार होने में सहायता मिल सकती है।
पुराने समय में, शोक मनाने में अधिक औपचारिकता तथा दुख संबंधी रीति रिवाज हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होते थे। आजकल, रीति रिवाजों की अवधि बहुत ही अधिक कम हो चुकी है, संभवत हम शोक मनाने संबंधी रीति रिवाजों की उपेक्षा कर सकते हैं, हालांकि यह हमारे स्वास्थ्य और दुख से उबरने के लिए अनिवार्य हैं। हमें अपने आप को शोक मनाने और दुख सहने के लिए समय देना चाहिए तथा हमें ऐसा दूसरों को भी करने देना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए। अनेक व्यक्तियों को धर्म के माध्यम से सकून मिल सकता है। यदि आप हमेशा से ही धर्म में दृढ़ता से यकीन करते रहे हैं, तो संभव है कि आपका विश्वास किसी नजदीकी संबंधी की मृत्यु पर डांवाडोल हो जाए। यदि आप नियमित रुप से पूजा पाठ नहीं करते हैं, तो आप नए सिरे से जीवन की शुरुआत कर सकते हैं। शोक की स्थिति में व्यक्तिगत विश्वास तथा दृष्टिकोण संबंधी दार्शनिकता से बहुत अधिक सकून मिल सकता है।
दुख से उत्पन्न तनाव के कारण हमारे उपर बहुत अधिक शारीरिक तथा भावनात्मक भार पैदा हो जाता है। तनाव के कारण हमारे साथ दुर्घटना की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसलिए अपना और अधिक ध्यान रखना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। थोड़ा और आराम, पुष्टिदायक आहार, ताजी हवा तथा व्यायाम इस दुख की वेला से निकलने के लिए दवाओं और एल्कोहल से कहीं अधिक महत्वपूर्ण साबित होते हैं। तथापि, यदि आप अपने स्वास्थ्य को लेकर किसी भी रुप में चिंतित हैं अथवा आपको कोई तकलीफ निरन्तर बनी रहती है तो आपको अपने डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अपने डर को साझा करें
जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है तो संभव है कि हम अधिक डरों का भार अपने साथ वहन करने लगें। शोक से समय, हमें बचपन की अवस्था में होने वाले डर तथा नए प्रकार के डरों का अनुभव हो सकता है जैसे अंधेरे का डर, अज्ञात भविष्य संबंधी भय, घर बदलने का डर, घर के काम काज न कर पाने अथवा पैसे का डर, एक दूसरे के साथ वर्षों साथ रहने के बाद अकेले रहने का डर। संभवत इनमें से सबसे बड़ा डर हमें अपनी मृत्यु को झेलने का हो सकता है। डर तो वास्तविक होते हैं लेकिन इनको साझा किया जा सकता है, इन डरों को दूर करने में आपके परिवार तथा मित्रों की सहायता बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है।
नजदीकी अथवा प्यारे व्यक्ति की मृत्यु के लिए तैयारी करना
मृत्यु के बारे में बात करना कोई विकृति नहीं है लेकिन जहां तक संभव हो शारीरिक तथा मानसिक दोनो रुपों में इसके लिए तैयार होना एक बहुत ही समझदारी बात है। आपको यदि इस बात की जानकारी नहीं है कि किसी कार्य को किस प्रकार से करना है तो दुख की वेला में इसके कारण गुस्सा तथा कुण्ठा हो सकती है। भावनात्मक उतार चढ़ाव की स्थिति में दिन प्रतिदिन के कार्य कर पाने में समर्थ होने से काफी राहत मिल सकती है तथा इस बात का अहसास भी हो सकता है कि आपके समीपवर्ती व्यक्ति को इस बात की खुशी हो रही होगी की आप इसका सामना कर पा रहे हैं।
मृत्यु होने पर किए जाने वाले कार्य
यदि घर में किसी की मृत्यु हो जाती है और इस मृत्यु की जानकारी यदि पुलिस को नहीं दी जानी, तो आप अपने डाक्टर को बुलाएं जो कि मृत्यु के कारण की पुष्टि करने के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करेगा। अस्पताल में मृत्यु होने की स्थिति में डाक्टर द्वारा इस आशय का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। मृत्यु की निर्धारित अवधि के भीतर उस प्रमाणपत्र को स्थानीय जन्म तथा मृत्यु रजिस्ट्रार के पास अवश्य ले जाना चाहिए।
अचानक हुए मृत्यु
यदि मृत्यु अचानक तथा असामान्य रुप से हुई हो, तो यह आपके डाक्टर का कर्तव्य बनता है कि वह इसकी जानकारी पुलिस को दे, जो पोस्ट-मार्टम करवा सकती है तथा मृत्यु के कारण का पता लगाने के लिए जांच करवा सकती है। अधिकांश मामलों में यह एक प्रकार की तकनीक औपचारिकता ही होती है, इसलिए ज्यादा चिंता न करें।
मृत्यु की जानकारी
संभव है कि आप समाचारपत्रों आदि के माध्यम से मृत्यु की जानकारी देना चाहें जिसमें अंत्येष्टि की तारीख,समय और स्थान शामिल होता है। इस प्रकार के शोक संदेशों के लिए समाचार पत्र के क्लासीफाइड विज्ञापन विभाग के कर्मियों द्वारा आपको शब्दों के चयन में सहायता उपलब्ध कराई जाती है तथा आपको खर्चे का अनुमान बताया जाता है। सुरक्षा कारणों से आप अपने पते को शामिल न करने का भी निर्णय कर सकते हैं।