अपने दांतों की देखभाल करना
स्वस्थ दांत तथा मूसड़े अच्छे स्वास्थ्य और सुंदर व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। लेकिन, हम सामान्य तौर पर अपने दांतों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल नहीं करते हैं और बिना दांतों के ही जीवन भर दुख उठाते रहते हैं।
मसूड़ों का रोग अथवा पेरिडोनटाईटिस, बढ़ती उम्र में दांतों के गिरने का सबसे आम कारण होता है तथा यह मैल जमने के कारण होता है। मसूड़ों संबंधी रोगों को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप हर रोज ब्रश करके पूर्णतया दांतों पर जमी मैल को हटाएं। साथ ही, अपने दांतों और मसूड़ों की सावधानी पूर्वक जांच करके आप लाली, सूजन अथवा मसूड़ों से खून बहने जैसे रोगों के लक्षण पहले से ही जान सकते हैं।
दांतों और मसूड़ों के बेहतर स्वस्थ रखने का एक महत्वपूर्ण अंग यह है कि आपको उचित प्रकार से ब्रश करने की जानकारी हो। सावधानीपूर्वक दैनिक रुप से ब्रश करने से दांतों पर नैत्यक रुप से जमने वाली मैल को हटाया जा सकता है। दांतों पर चारों ओर से नरम बालों वाले ब्रश तथा फ्लूराइड टूथपेस्ट से ब्रश करें। गोलाकार तथा थोड़ा सा आगे पीछे करते हुए ब्रश करें और मसूड़ों के आपपास सावधानी पूर्वक ब्रश करें। अपनी जीभ पर भी हलका ब्रश करें ताकि उस पर जमी मैल तथा भोजन आदि के कणों को हटाया जा सके तथा अपने मुहं में ताजगी का अहसास प्राप्त करें।
शुष्क मुंह जिसके कारण आप प्यास महसूस करते हैं और बार बार कुछ तरल पदार्थ पीने को मन करता है, ऐसा अनेक वयस्कों में आम देखने को मिलता है। इसके कारण खाने, निगलने, स्वाद चखने तथा बोलने में दिक्कत हो सकती है। जब लाला ग्रंथियों द्वारा उचित कार्य निष्पादन नहीं किया जाता है तो मुंह सूखा सूखा रहता है। यह अनेक दवाओं का दुष्परिणाम होता है तथा इसके साथ अनेक शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। मुंह में सूखापन रहने से दांतों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है जिसमें दांत गिरने लगते है तथा मसूड़े भी रोगग्रस्त हो जाते हैं। सूखेपन को दूर करने के लिए, अतिरिक्त पानी पीएं तथा चीनी युक्त पदार्थों के सेवन से बचें, तथा कैफीन युक्त पेय पदार्थों, तम्बाकू तथा एल्कोहल के सेवन से बचें जिससे मुहं में सूखापन बढ़ता है। दोषी दवा का पता लगाने के लिए आपको अपने चिकित्सक से विचार विमर्श करने की आवश्यकता है।
यदि आपने नकली दांत (डेन्चर्स) लगवाएं हुए हैं तो उनको साफ करें तथा उन पर भोजन के कणों को हटा दें जिनसे स्थाई रुप से निशान पड़ जाते है, सांसों में बदबू आती है, तथा मसूड़ों पर जलन आदि होती है। दिन में एक बार चारों तरफ से अपने डेन्चर को डेन्चर केयर उत्पाद से साफ करें। नकली दांतों को रात को निकाल कर पानी में अथवा डेन्चर साफ करने वाले लिक्विड में रखें। सुबह, खाना खाने के बाद तथा रात को सोते समय अपने नमक के पानी से कुल्ला आदि करना भी लाभदायक रहता है।
जिस प्रकार से सम्पूर्ण डेन्चर की देखभाल की जाती है उसी प्रकार से एक या दो नकली दांतों की भी देखभाल आवश्यक है। क्योंकि आपके आंशिक डेन्चर के क्लाप्स के अंदर भी जीवाणु इकठ्ठे हो जाते हैं। इन हिस्सों को भली भांति रुप से साफ करना मायने रखता है।
समय के साथ मुंह के ऊतकों में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार डेन्चर को बदला अथवा उसके डिजाइन में परिवर्तन करना आवश्यक हो जाता है। डेन्चर की घर में मरम्मत करने का प्रयास न करें क्योंकि इससे डेन्चर क्षतिग्रस्त हो सकता है तथा मुंह के ऊतकों को क्षति पहुंच सकती है।
डेन्टल इम्प्लांट्स को दांतों जैसे दिखने के लिए डिजाइन किया जाता है और मसूड़ों की सतह पर टिके रहने के लिए अथवा जबड़े की हड्डी के भीतर शल्यचिकित्सा द्वारा लगाया जाता है। ऐसे रोगी जिनमें हड्डियों की पर्याप्त अवसंरचना मौजूद है उन्ही में इम्प्लांट्स उपयोगी साबित होते हैं। चूंकि इसके लिए कुछ विशेषज्ञता अपेक्षित होती है इसलिए आप अनुभवी दंत चिकित्सक से ही सम्पर्क करें जिससे आप अपनी चिंताओं पर विचार विमर्श कर सकते हैं ताकि कार्यविधियां आपके लिए सही साबित हों।